speak only necessary / utna hi bole jitna anivaary ho / वही बोले जो अनिवार्य हो
वही बोले जो अनिवार्य हो हमारी बुद्धि (mind) विकृत (deformed) है क्योंकि इतने विचारों (thoughts) का बोझ है विचार ही विचार है , जैसे आकाश में बादल ही बादल छाए हो आकाश खो जाए दिखाई ही न दे सूर्य का कोई दर्शन न हो ऐसी हमारी बुद्धि हैं विचार ही विचार हैं उसमे जो बुद्धि की प्रतिभा (brilliance) है , जो आलोक (enlightenment) है खो गया हैं छिप जाता है एक बादल हट जाए तो आकाश का टुकड़ा दिखाई पड़ना शुरू हो जाता हैं छिद्र हो जाए बादलों में तो प्रकाश की रोशनी आनी शुरू हो जाती है सूरज के दर्शन होने लगते है ठीक ऐसे ही बुद्धि है जब तक विचार से बहुत ज्यादा आवरक (covered) न हों जाए, एक परत नही है विचार की बहुत सारी परते हैं जैसे कोई प्याज को छीलता चला जाए तो परत के भीतर परत ठीक ऐसे हीं विचार परत की तरह होते हैं एक विचार की परत को हटाए तो दूसरी सामने आ जाती है दूसरे को हटाएं तीसरी आ जाती है ये परत दर परत (layer to layer) विचार ऐसे ही चलते रहते है जो हमारी लंबी यात्रा में इकट्ठे हो जाते है यात्रा बहुत लंबी हो जाए और यात्री को पता ही न हो की वो कहा खो गया है l ध्यान स्नान है बुद्धि का। और ज