ham chukte kyu hai jindgi mei / what are we missing in life - essence of life with betal pachisi short story to take right decision / OSHO VANI

 Essence of life with betal pachisi story







एक बड़ी प्राचीन कथा है शायद तुमने पढ़ी हो , पढ़ी होगी तो भी तुम समझ न पाए होगे क्योंकि वो कहानी इस ढंग से कही गई है कि उसे अज्ञानी पढ़े तो मनोरंजन समझे, ज्ञानी पढ़े तो जीवन का परम रहस्य बन जाए। तुमने बेताल पच्चीसी का नाम सुना होगा हम कभी सोच भी नही सकते कि वो भी कोई ज्ञानियों की बात हो सकती है बेताल पच्चीसी पर इस देश ने बड़े अनूठे प्रयोग किए है इस देश ने ऐसी किताबें लिखीं है जिनमें परत दर परत अलग अलग अर्थ है, जिनमें एक साथ कई अर्थ दौड़ते रहते है, एक छोटा बच्चा भी बेताल पच्चीसी पढ़कर प्रसन्न हो जायेगा और एक ज्ञानी भी पढ़कर प्रसन्न होगा और कुछ के लिए मनोरंजन हो जाएगा। ऐसे ही एक कथा है कि सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में एक फ़कीर आया सुबह का वक्त था रिवाज़ के अनुसार लोग सम्राट को रोज़ सुबह भेंट चढ़ाने आते थे उस फकीर ने भी जंगली सा दिखाई पड़ने वाला फल सम्राट को भेट किया सम्राट थोड़ा मुस्कराया भी कि वह फ़कीर इतनी दूर से एक फल चढ़ाने आया है तो उसने स्वीकार कर लिया जो भी भेट आती थी पास में बैठे वज़ीर को देता जाता था तो उस फल को भी वज़ीर को दे दिया ऐसे ही ये क्रम दस वर्षो तक चला वो फकीर रोज़ सुबह आता उसी तरह का जंगली फल रोज़ भेंट दे जाता और रोज़ सम्राट वज़ीर को फल दे देता पर एक दिन पास ही सम्राट का पाला हुआ बंदर वहां बैठा हुआ था और सम्राट ने वज़ीर को फल न देकर बंदर को दे दिया। बंदर ने फल खाया और उसके मुंह से बहुत बड़ा हीरा नीचे गिर गया सम्राट तो एक दम चौका कि इतना बड़ा हीरा तो उसने कभी देखा भी न था और तुरंत वज़ीर से पूछा बाकि फल कहां है लेकिन वज़ीर उसे एक तलघरे (basement) में फेंकता जाता था उस जंगली फल को। तलघरा खोला गया तो सारे फल सड़ चुके थे भयंकर बदबू आ रही थी लेकिन उनमें से हीरे चमक रहें थे ऐसे हीरे जो सम्राट ने कभी देखे भी न थे।

                              फ़कीर से कहा कि ये क्या राज? तुम क्या चाहते हो? किसलिए तुम दस साल से भेंट ला रहे हो और में कैसा अज्ञानी मेने ये कभी देखा भी नही मेने सोचा कि ये तो जंगली फल हैं उस फ़कीर ने कहा होश न हो तो जिंदगी ऐसे ही चूक जाती है रोज़ ही जिंदगी लाती हैं लेकिन तुम उसे जंगली फल समझकर फेखते चले जाते हो और हर फल के भीतर हीरा छिपा है जैसा की तुमने कभी देखा नही, खैर जो हुआ सो हुआ अब पीछे की तरफ मत जाओ अन्यथा फिर चूक जाओगे और आगे भी मत दौड़ो आगे भी मत जाओ पीछे भी मत जाओ में तुमसे कुछ और कहना चाहता हूं वो सुन लो सम्राट सजग होकर बैठा ये आदमी कोई साधारण आदमी नही है अब तक समझे कि फ़कीर है  राजा बोला कहो तुम्हारी एक एक बात सुनने जैसी है। फ़कीर बोला आज तुम मुझे शमशान को रात में मिलना सम्राट सोच में पड़ गया सोचा क्यों इन झंझटो में पड़ना लेकिन पीछे हटा तो कायरता होगी और ये आदमी ऐसा है कि इसके साथ थोड़े दूर जाने जैसा है पता नही में उसे जंगली फल समझकर फेंकते रहे पता नही उस शमशान में कौन सा मोक्ष का द्वार खुल जाए थोड़ा डरा क्योंकि बहादुर से बहादुर आदमी भी डरते है फ़र्क बस इतना है बहादुर डरता है तो भी करता है कायर डरता है भाग खड़ा हो जाता है। खैर सम्राट पहुंच गया शमशान पर आधी रात में उसे नही पता था कि शमशान ऐसी होती है उसने तो बस महलों में नाम ही सुना था, फ़कीर ने सब इंतजाम कर रखा था जो उसे करना है सम्राट से कहा आ गए ठीक यहां से थोड़ी दूर जो पेड़ दिखाई पड़ रहा है वहां पर एक लाश लटकी हुई है तुम्हे उस लाश को पेड़ से उतार के ले आना है लेकिन ध्यान रखना सजग रहना और शांत रहना चूके कि गए फिर में भीं मदद न कर पाऊंगा। डरता हुआ सम्राट उस पेड़ के पास पहुंचा भय लगने लगा उसे क्योंकि वहां कोई भी न था बिल्कुल अकेला था राजा के हाथ पैर कांप रहे थे किसी तरह लाश को पेड़ से उठाया लाश एक दम से नीचे गिरी न केवल गिरी बल्कि बहुत तेज़ हँसी भी राजा के प्राण छूट गए सोचा था कि मरी होगी लेकिन ये तो जिंदा मालूम होती है जिंदा भी अजीब हालत में है राजा ने पूछा क्यों हंसे क्या मामला है बस इतना कहना था लाश उड़ी और वापस जाकर पेड़ से लटक गई। लाश ने बोला शांत रहोगे तो ही तुम मुझे उस फ़कीर तक ले जा सकोगे अगर तुम बोले तो चूके। बड़ा मुश्किल था चुप रहना क्योंकि जब आदमी घबराता है तो कुछ बोलना चाहता है कुछ गुनगाने लगता है थोड़ी हिम्मत बढ़ती है बोलना भी नही चारों तरफ सन्नाटा है शायद आदमी इसलिए अतीत की सोचता है भविष्य की सोचता है क्योंकि डरता है, वर्तमान के क्षण में जीवन भी है और मौत दोनो है क्योंकि वर्तमान में तुम मरते हो और वर्तमान में ही तुम जीते हो न तो कोई भविष्य में जीता है और न ही कोई भविष्य में मरता हैं सब कुछ आज ही है। 

                                  खैर राजा ने लाश को कंधे पर रखा और चल दिया मुर्दे ने बोला अभी रास्ता लंबा है जब तक एक कहानी कहता हूं, उसने बोला तीन युवक थे पर राजा ने सोचा में चुप ही रहूंगा अन्यथा ये फिर उड़ जायेगी मुर्दे को जो कहना है कहे। मुर्दा बोला एक गुरु के आश्रम में तीन युवक थे तीनों ही गुरु की लड़की के प्रेम में पड़ गए, तीनों ही एक से थे योग्य थे, प्रतिभाशाली थे गुरु मुश्किल में था कि किसको चुनें युवती भी मुश्किल में थी कि किसको चुनें कोई उपाय न देखकर युवती ने आत्महत्या कर ली कोई रास्ता न था कि किसको छोड़े जानती थी कि जिसको छोड़ेगी बाद में पछतावे का कारण रहेगा बड़ी अड़चन थी कोई हल न मिला तो आत्महत्या कर ली। तीनों ही अचंभे में पड़ गए उनमें से एक मरी युवती के पास ही रहा और उसके शरीर से कोई रसायनिक लेप लगता और दूसरा इतने दुख से भर गया यात्रा पर निकल गया अपने दुःख को भुलाने के लिए निकल गया सोचा अब कहीं बसना नहीं है और तीसरा युवक निकल गया मंत्रो की खोज में क्योंकि उसने सुन रखा था कि कोई मंत्र है जो जिंदा कर देता है कई दिनों के बाद उसे एक मंत्र मिल गया जो उसे चाहिए था, मंत्र का ज्ञान लेते ही वो वापस आया और युवती को जिंदा कर दिया युवती पहले से भी ज्यादा सुंदर हो गई थी फिर कलह शुरू हो गई कि वो किसकी है। उस मुर्दे ने पूछा कि सम्राट गौर से सुनो कि अब इन तीनों में से युवती किसकी है और अगर तुम्हे उत्तर आ जाए और तुमने उत्तर न दिया तो तुम इसी क्षण मार जाओगे और अगर उत्तर न आए तो कोई हर्ज नही राजा बड़ी मुश्किल में पड़ गया क्योंकि उत्तर तो उसके दिमाग में आ रहा था किंतु बोलना पड़ेगा अगर न बोला तो मारा जाऊंगा तो वह उत्तर बोला और कहा कि जिसने मंत्र पढ़कर युवती को जिंदा किया वो पिता तुल्य है क्योंकि उसने जन्म दिया है, जिसने शरीर पर प्रतिदिन लेप लगाया वो पुत्र तुल्य है क्योंकि उसने सेवा भाव से किया है लेकिन जिसने निश्चय कर लिया था कि अब कहीं नही बसना ऐसे ही भटकना है वो ही प्रेमी है उसी से शादी होगी वही तीसरा व्यक्ति। लाश फिर जाकर पेड़ से लटक गई क्योंकि ये आदमी फिर से बोल गया था ऐसे ही ये दौर चलता रहता है।

जीवन में हम चूकते है जब ही मूर्छा (stupidness) पकड़ लेती है जब हम होश खो देते है जब जागे हुए नही होते तब जीवन का सूत्र हाथ से छूट जाता है।





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