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learn life lesson by osho vani / overcome sadness / dukho ka hal

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OVERCOME SADNESS BY OSHO VANI  Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Raj. Raj was known for his vibrant personality and infectious laughter. He always wore a smile on his face and brought joy to everyone around him. However, one day, a deep sadness engulfed Raj's heart. He could not shake off the feeling of sadness no matter how hard he tried. Concerned about his friend, Raj's neighbor, Maya, suggested that he seek guidance from the wise Osho, who resided in a nearby forest. Osho was renowned for his wisdom and ability to help people find peace and happiness. Intrigued by the idea, Raj decided to visit Osho in hopes of finding solace. As Raj approached Osho's humble dwelling, he noticed a serene aura surrounding the place. Osho welcomed Raj with a warm smile and invited him to sit down. Raj poured out his heart, explaining the overwhelming sadness that had consumed him. Osho listened attentively and then began to speak, "Sadness is a part

ham chukte kyu hai jindgi mei / what are we missing in life - essence of life with betal pachisi short story to take right decision / OSHO VANI

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  Essence of life with betal pachisi story एक बड़ी प्राचीन कथा है शायद तुमने पढ़ी हो , पढ़ी होगी तो भी तुम समझ न पाए होगे क्योंकि वो कहानी इस ढंग से कही गई है कि उसे अज्ञानी पढ़े तो मनोरंजन समझे, ज्ञानी पढ़े तो जीवन का परम रहस्य बन जाए। तुमने बेताल पच्चीसी का नाम सुना होगा हम कभी सोच भी नही सकते कि वो भी कोई ज्ञानियों की बात हो सकती है बेताल पच्चीसी पर इस देश ने बड़े अनूठे प्रयोग किए है इस देश ने ऐसी किताबें लिखीं है जिनमें परत दर परत अलग अलग अर्थ है, जिनमें एक साथ कई अर्थ दौड़ते रहते है, एक छोटा बच्चा भी बेताल पच्चीसी पढ़कर प्रसन्न हो जायेगा और एक ज्ञानी भी पढ़कर प्रसन्न होगा और कुछ के लिए मनोरंजन हो जाएगा। ऐसे ही एक कथा है कि सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में एक फ़कीर आया सुबह का वक्त था रिवाज़ के अनुसार लोग सम्राट को रोज़ सुबह भेंट चढ़ाने आते थे उस फकीर ने भी जंगली सा दिखाई पड़ने वाला फल सम्राट को भेट किया सम्राट थोड़ा मुस्कराया भी कि वह फ़कीर इतनी दूर से एक फल चढ़ाने आया है तो उसने स्वीकार कर लिया जो भी भेट आती थी पास में बैठे वज़ीर को देता जाता था तो उस फल को भी वज़ीर को दे दिया ऐस

speak only necessary / utna hi bole jitna anivaary ho / वही बोले जो अनिवार्य हो

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  वही बोले जो अनिवार्य हो हमारी बुद्धि (mind) विकृत (deformed) है क्योंकि इतने विचारों (thoughts) का बोझ है विचार ही विचार है , जैसे आकाश में बादल ही बादल छाए हो आकाश खो जाए दिखाई ही न दे सूर्य का कोई दर्शन न हो ऐसी हमारी बुद्धि हैं विचार ही विचार हैं उसमे जो बुद्धि की प्रतिभा (brilliance) है , जो आलोक (enlightenment) है खो गया हैं छिप जाता है एक बादल हट जाए तो आकाश का टुकड़ा दिखाई पड़ना शुरू हो जाता हैं छिद्र हो जाए बादलों में तो प्रकाश की रोशनी आनी शुरू हो जाती है सूरज के दर्शन होने लगते है ठीक ऐसे ही बुद्धि है जब तक विचार से बहुत ज्यादा आवरक  (covered) न हों जाए, एक परत नही है विचार की बहुत सारी परते हैं जैसे कोई प्याज को छीलता चला जाए तो परत के भीतर परत ठीक ऐसे हीं विचार परत की तरह होते हैं एक विचार की परत को हटाए तो दूसरी सामने आ जाती है दूसरे को हटाएं तीसरी आ जाती है ये परत दर परत (layer to layer) विचार ऐसे ही चलते रहते है जो हमारी लंबी यात्रा में इकट्ठे हो जाते है यात्रा बहुत लंबी हो जाए और यात्री को पता ही न हो की वो कहा खो गया है l ध्यान स्नान है बुद्धि का। और ज

अतीत का बोझ /burden of the past / atit ka bojh- how to overcome it by OSHO Vani and Osho thoughts with LORD BUDDHA story

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अतीत का बोझ/ burden of the past   ए क बहुत ही आश्चर्यजनक(amazing) तथ्य दिखाई पड़ता है वो ये कि मनुष्य का पूरा व्यक्तित्व एक तनाव, एक खिंचाव और एक बोझ है। कौनसा बोझ है मनुष्य के चित्त पर? किस पत्थर के नीचे आदमी दबा है? सूरज की किरणों की तरफ देखें या वृक्ष के हरे पत्तों की तरफ या आकाश की तरफ , आंखें उठाएं कहीं कोई बोझ नही है सब तरफ निर्भार है, कहीं कोई तनाव नहीं है, मनुष्य के मन पर। सुना हैं मैंने एक तेज़ी से दौड़ती हुई ट्रेन के भीतर एक आदमी बैठा हुआ था जो भी उस आदमी के करीब से निकलता हैरानी से और गौर से उसे देखता उसने काम ही ऐसा कर रखा था वह अपना बिस्तर और अपनी पेटी अपने सिर पर रखे हुए था कोई भी उससे पूछता की क्या हुआ मित्र, वह कुछ स्वयं सेवक किस्म का आदमी था उसने कहा कि मैं अपना बोझ इस गाड़ी पर क्यों रखूं इसलिए अपने सिर पर रख लिया है लेकिन उसे ये नहीं मालूम की वो खुद गाड़ी पर सवार हैं और अपने सिर पर बोझ रखे हुए वो बोझ भी गाड़ी पर सवार है लेकिन जिस बोझ को वो नीचे रखकर आराम से बैठ सकता था उस बोझ को वो सिर पर रखें हुए है इस ख्याल से कि अपनी सेवा स्वयं करनी चाहिए। गाड़ी भाग रही है